Homeराजनीतीदेश में जाति जनगणना के बजाय कौशल जनगणना की जरूरत: नायडू

देश में जाति जनगणना के बजाय कौशल जनगणना की जरूरत: नायडू

यह हमारे वर्कफोर्स की कैपेसिटी और खामियों को उजागर कर सकेगी

नई दिल्ली। मोदी सरकार में शामिल आंध्र प्रदेश की टीडीपी नेता सीएम चंद्रबाबू नायडू ने अपने राज्य में स्किल सेंसस कराने की बात कही है। चंद्रबाबू ने इंडिया गठबंधन के एजेंडे की आलोचना करते हुए कहा कि जाति जनगणना के बजाय कौशल जनगणना की जरूरत है। अगर नायडू की यह योजना रंग लाती है तो इस तरह की जनगणना कराने वाला आंध्र प्रदेश देश का पहला राज्य बन जाएगा।
यह जनगणना हमें हमारे वर्कफोर्स की कैपेसिटी और खामियों को उजागर कर सकेगी। नायडू की इस पहल से मानव संसाधान का भरपूर इस्तेमाल हो सकेगा। सोशल मीडिया पर नायडू की इस पहल का स्वागत किया जा रहा है। ज्यादातर लोग इसे पूरे भारत में लागू करने की बात कर रहे हैं। दरअसल, आज जब हर ओर जब जाति जनगणना, धर्म आधारित जनगणना की बात हो रही है तो ऐसे में नायडू की यह पहल एक क्रांतिकारी साबित हो सकती है।
जानकारों के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू की यह पहल इतनी अच्छी है कि यह पूरे देश के लिए नजीर बन सकती है। कौशल के मामले में भारत में मिली-जुली स्थिति है। भारत में आधी से ज़्यादा आबादी 25 साल से कम उम्र की है। हालांकि, भारतीय युवा बेरोजगारी और कम रोजगार के हाई रेट का सामना कर रहे हैं। बहुत से युवाओं के पास डिग्री तो है, लेकिन नौकरियों के लिए जरूरी कौशल की कमी है। 
2022-23 में हुए एक सर्वे के मुताबिक ग्रेजुएट करने वाले युवाओं में बेरोजगारी की दर काफी ज्यादा है। इनमें 24 फीसदी के साथ आंध्र प्रदेश नंबर वन पर है। वहीं, बीमारू राज्यों में बेरोजगारी दर 16.6 फीसदी के साथ बिहार, 11 फीसदी के साथ उत्तर प्रदेश, 9.3 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश और 23.1 फीसदी के साथ राजस्थान है। स्किल सेंसस से हम सटीक रूप से पता लगा सकते हैं कि देश की इंडस्ट्री में किस तरह के कौशल की कितनी कमी है। इसे हम ट्रेनिंग देकर पूरी कर सकते हैं। 
स्किल सेंसस से वैश्विक स्तर पर किन स्किल्स की डिमांड ज्यादा है, इसका पता लगाया जा सकता है। इससे कोई भी देश अपने वर्कफोर्स को ट्रेनिंग देकर इन्हें ज्यादा प्रतिस्पर्धी बना सकता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राजीव रंजन गिरि के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू की इस पहल का पूरे देश में स्वागत होना चाहिए। पीएम मोदी को भी इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए, ताकि भारत को अपने मानव संसाधन के बारे में सटीक जानकारी हो। यह भी जानकारी हो पाएगी कि यह मानव संसाधन कितना स्किलफुल है।

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