Homeराज्यछत्तीसगढ़नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की इजाजत, उसे दुष्कर्मी के बच्चे को...

नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की इजाजत, उसे दुष्कर्मी के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता- CG हाईकोर्ट

रायपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें 6 महीने की गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दी गई है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया कि दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है, क्योंकि इस तरह की प्रेग्नेंसी से महिला को अत्यधिक मानसिक पीड़ा होती है और उसकी मानसिक स्थिति को गंभीर नुकसान पहुंचता है।

इस फैसले में यह भी कहा गया है कि दुष्कर्म पीड़िता को दुष्कर्मी के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। जस्टिस गुरु ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उसे रायगढ़ के मेडिकल जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराने के निर्देश दिए हैं।

युवक ने पहले दोस्ती की और फिर दुष्कर्म किया

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता ने गर्भपात की इजाजत के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह याचिका इसलिए दायर की गई थी, क्योंकि एक युवक ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म कर उसे गर्भवती कर दिया था। युवक ने पहले नाबालिग से दोस्ती की और फिर उसे प्यार के जाल में फंसाया। नाबालिग भी उसकी बातों में आकर उससे प्यार करने लगी। इसके बाद युवक ने उसे शादी का लालच देकर दुष्कर्म किया। युवक लगातार नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाता रहा, जिससे वह गर्भवती हो गई। लेकिन बाद में युवक ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया। 

कानूनी प्रावधानों के कारण नहीं हो सका गर्भपात

नाबालिग लड़की को अपने प्रेमी की हरकतों से परेशान होकर पुलिस में शिकायत दर्ज करानी पड़ी। पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन नाबालिग लड़की की परेशानी कम नहीं हुई। वह बिना शादी के मां नहीं बनना चाहती थी, इसलिए गर्भपात कराने के लिए अस्पतालों में गई, लेकिन कानूनी प्रावधानों के कारण उसका गर्भपात नहीं हो सका। 

24 सप्ताह की गर्भवती है नाबालिग

नाबालिग ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी। याचिका में बताया गया था कि वह 24 सप्ताह की गर्भवती है और वह गर्भपात कराना चाहती है। हाईकोर्ट ने नाबालिग की याचिका पर सुनवाई करते हुए रायगढ़ के सीएमएचओ को मेडिकल बोर्ड गठित कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। यह फैसला शीतकालीन अवकाश के दौरान 30 दिसंबर को लिया गया, जो हाईकोर्ट की संवेदनशीलता को दर्शाता है।

RELATED ARTICLES

हमसे जुड़ें

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe