Homeदेशआखिरकार चीन के तेवर पड़े नरम भारत से रिश्ते सुधरने की बनी...

आखिरकार चीन के तेवर पड़े नरम भारत से रिश्ते सुधरने की बनी संभावना

नई दिल्ली। गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत और चीन के रिश्ते बेहद खराब हो गए थे। दोनों देशों में तनातनी चल रही थी। इसी बीच खबर आ रही है कि अब चीन के तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं। और माना जा रहा है कि अब दोनों देशों के रिश्तों में सुधार होने की संभावना बनी है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्ष सलाहकार अजीत डोभाल ने लगातार इसके लिए पहल की हैं। अब चीन की तरफ से भी जो बयान सामने आए रहे हैं उससे रिश्ते सुधरने के संकेत मिल रहे हैं। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि पूर्वी लद्दाख के चार क्षेत्रों में सेनाओं के बीच तनातनी कम हुई है। रूस में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग ई के बीच गुरुवार को ब्रिक्स देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक से इतर हुई बैठक में दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के लिए सहमत हैं।
डोभाल और वांग की बैठक को लेकर उन्होंने कहा कि दोनों देश मानते हैं कि शांति और विकास के लिए दोनों देशों के बीच संबंधों का मजबूत होना जरूरी है। मालूम हो, चीन का ये बयान तब आया है जब भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर ने एक दिन पहले जिनेवा में कहा था कि चीन से 75 फीसदी विवाद का हल हा चुका है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से शुक्रवार को प्रेस वार्ता के दौरान पूछा गया कि क्या दोनों देश पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय से द्विपक्षीय संबंधों पर जमी बर्फ को हटाने के करीब हैं? इसपर माओ ने कहा कि दोनों सेनाओं ने चार क्षेत्रों से वापसी की है और सीमा पर स्थिति स्थिर है। उन्होंने कहा कि चार जगहों पर सैनिक पीछे हटे हैं। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में, दोनों देशों की अग्रिम मोर्चे पर तैनात सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार बिंदुओ से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है। चीन-भारत सीमा पर स्थिति आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है। उनकी यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा जिनेवा में दिए गए बयान के एक दिन बाद आई है। जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी से जुड़ी समस्याओं का लगभग 75 प्रतिशत समाधान हो गया है, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण है।
बता दें कि भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि, दोनों पक्षों ने टकराव वाले कई बिंदुओं से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गिरावट आई। यह दशकों के बाद दोनों पक्षों के बीच हुआ सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। भारत का स्पष्ट रुख है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच सीमा मसले को लेकर दर्ज किए गए सुधार पर भी चर्चा हुई है। मिंग से जब पूछा गया कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनातनी के बाद बीते चार वर्षों से द्विपक्षीय संबंध सुस्त पड़े हैं, क्या इसे नई गति मिल सकती है। सवाल के जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सेनाओं को सीमा पर चार क्षेत्रों में शांति बनाए रखने का अहसास हुआ है। सीमा पर अभी स्थिति स्थिर है।
स्विट्जरलैंड में थिंकटैंक ‘जिनेवा सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी’ के साथ संवाद सत्र में जयशंकर ने कहा कि जून 2020 में गल्वान घाटी में हुए संघर्षों ने भारत-चीन संबंधों को समग्र तरीके से प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि कोई भी सीमा पर हिंसा के बाद यह नहीं कह सकता कि बाकी संबंध इससे अछूते हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, ‘‘अब वो बातचीत चल रही है। हमने कुछ प्रगति की है। आप मोटे तौर पर कह सकते हैं कि सैनिकों की वापसी संबंधी करीब 75 प्रतिशत समस्याओं का हल निकाल लिया गया है। जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, हमें अब भी कुछ चीजें करनी हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हमसे जुड़ें

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe